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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।

अथवा
सन् 1920 ई. असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्तों व कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. असहयोग आन्दोलन का प्रारम्भ कब हुआ तथा आन्दोलन के कार्यक्रम में बारे में बताइये।
2. असहयोग आन्दोलन के कारण बताइये।
3. असहयोग आन्दोलन का महत्त्व व सफलताएँ बताइये।
4. असहयोग आन्दोलन की असफलता के क्या कारण थे।

उत्तर -

असहयोग आन्दोलन का प्रारम्भ

आन्दोलन का सूत्रापात गाँधी जी ने अपने 'केसर-ए-हिन्द' के पदक को वापस देकर किया। सेठ जमनालाल बजाज ने अपनी रायबहादुरी की उपाधि तथा 'ऑनरेरी मजिस्ट्रेटी' छोड़ दी। जगह-जगह पर हजारों विद्यार्थियों द्वारा सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार किया गया। अदालत के बहिष्कार सम्बन्धी कार्यक्रम के अन्तर्गत देश के अनेक वकीलों द्वारा वकालत छोड़ दी गई। इन वकीलों में बंगाल के 'देशबन्धु चितरंजन दास' पंजाब के लाला लाजपतराय, उत्तरप्रदेश के मोतीलाल नेहरू तथा जवाहरलाल नेहरू, गुजरात के बिट्ठल भाई पटेल तथा वल्लभ भाई पटेल। बिहार के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद आदि प्रमुख थे। विदेशी वस्त्रों में बहिष्कार में लोगों ने पूर्ण उत्साह दिखाया। आन्दोलन की विशेष बात हिन्दू-मुस्लिम एकता थी।

आन्दोलन के कार्यक्रम

गाँधी जी ने इस आन्दोलन के लिए नकारात्मक बहिष्कारात्मक तथा सकारात्मक ( रचनात्मक) दोनों प्रकार के कार्यक्रमों को जनता के सामने प्रस्तुत किया। गाँधी जी ने इन कार्यक्रमों के द्वारा जनता को इस आन्दोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस आन्दोलन के प्रमुख कार्यक्रम निम्न थे-

1. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
2. सरकार द्वारा दी गई उपाधियों व वैतनिक व अवैतनिक पदों का त्याग।
3. सन् 1919 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत होने वाले चुनावों का बहिष्कार तथा स्थानीय संस्थाओं में मनोनीत द्वारा त्याग-पत्र देना।
4. सरकारी व अर्द्ध-सरकारी उत्सवों व समारोहों में उपस्थित न होना।
5. सरकारी व अर्द्ध-सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार।
6. सरकारी अंदालतों का बहिष्कार।

7. भारतीयों का मेसोपोटामिया से सैनिक, क्लर्क या मजदूर के रूप में कार्य करने से इन्कार करना।

सन् 1921 ई. का वर्ष भारतीय जनता के लिये असहयोग का संदेश लेकर अवतीर्ण हुआ। असहयोग आन्दोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश भारत की जो भी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संस्थाएँ हैं उन सबका बहिष्कार कर दिया जाए और इस प्रकार सरकार की मशीनरी को बिल्कुल ठप कर दिया जाए। इस नकारात्मक कार्यक्रम के अतिरिक्त का सकारात्मक पक्ष भी था, जिनमें निम्न बातें मुख्य थीं।

1. राष्ट्रीय स्कूल व कॉलेजों की स्थापना।
2. पारस्परिक विवाद तय करने के लिये निजी पंचायतों का उपयोग।
3. बड़े पैमाने पर स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार।
4. हथकरघा व बुनाई उद्योग का जीर्णोद्धार। 5. अस्पृश्यता का अन्त।
6. साम्प्रदायिक एकता का विकास।
7. सर्वत्रा अहिंसात्मक ढंग से आचरण करते हुए उक्त कार्यक्रम को सम्पन्न करने के लिए भरसक प्रयास।

असहयोग आन्दोलन के कारण

असहयोग आन्दोलन उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण थे जो कि इस प्रकार से हैं-

(1) प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम - प्रथम विश्वयुद्ध के समय में मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए युद्ध में प्रविष्ट हुए हैं तथा आत्म निर्णय के सिद्धान्त के आधार पर कई राज्यों का निर्माण किया गया। परिमाणतः अधीन क्षेत्रों में राष्ट्रीयता की भावना का उदय हुआ तथा राष्ट्रीय आन्दोलन को बल मिला। भारत भी इस प्रभाव से अछूता नहीं रह सका तथा युद्ध से भारतीय राष्ट्रवाद को अपूर्व प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।

(2) आर्थिक असन्तोष - युद्ध में अत्यधिक व्यय वहन करने के कारण भारत सरकार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई और वह कर्ज के बोझ से दब गई। मुद्रा-स्फीति के कारण वस्तुओं के मूल्य बढ़ गए। जन साधारण के लिए जीवन एक समस्या बन गया और भुखमरी की नौबत आ गई। इसके अतिरिक्त शासन द्वारा सेना में भर्ती करने तथा युद्ध व्यय के रूप में धन की वसूली करने के लिए दुराग्रही साधनों का प्रयोग किया गया।

(3) महामारी का प्रकोप - जनता की आर्थिक दशा तो शोचनीय हो गई थी, उसी समय प्लेग और इन्फ्लुएंजा के प्रकोप ने उसे बदतर बना दिया। बहुत से व्यक्तियों को जान से हाथ धोना पड़ा। लगभग 8 लाख व्यक्ति प्लेग से एवं 80 हजार व्यक्ति इन्फ्लुएंजा से मर गए थे अपर्याप्त तथा असंतोष रूप से सरकार द्वारा प्रयत्न किए।

(4) अकाल - सन् 1917 ई. में अनावृष्टि के कारण देश में भयंकर अकाल पड़ा। अनेक व्यक्ति अकाल से ग्रस्त हो गए। सरकार की ओर से जनता का दुःख दूर करने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ता गया।

(5) सेना में बलपूर्वक भर्ती - युद्ध काल में शासन द्वारा बलपूर्वक सेना में भर्ती की गई अधिकारियों द्वारा गाँव-गाँव जाकर प्रत्येक कुटुम्ब से दो या तीन व्यक्तियों की भर्ती की गई तथा दुराग्रही साधनों के द्वारा धन एकत्र किया गया। श्री फोल्ड स्ट्रीम के अनुसार - "युद्ध ऋण उगाहने के लिये तथा सैनिकों की भर्ती के लिये किये गए, वे बहुधा अनधि त आपत्तिजनक तथा अत्याचारपूर्ण थे।"

(6) सैनिक की छंटनी - युद्ध समाप्त होने पर काफी संख्या में सैनिकों की छँटनी कर दी गई।. इसके परिणामस्वरूप बहुत-से लोग बेकार हो गए तथा जनता में असंतोष फैल गया।

(7) मॉण्ट फोर्ड सुधार से असन्तोष- युद्ध काल में सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों के कारण जनता को विश्वास हो गया था कि युद्ध के बाद सरकार द्वारा शासन में वांछित और क्रांतिकारी सुधार लाए जाएंगे। सरकार ने मॉण्ट फोर्ड सुधार योजना ने उनकी आशाओं व आकांक्षाओं पर पानी फेर दिया। इस योजना ने उत्तरदायी शासन की स्थापना नहीं की। भारत सरकार पर गृह - सरकार का नियंत्राण पूर्ववत् बना रहा और स्थानीय स्वशासन को भी प्रोत्साहन नहीं दिया गया। भारतीयों ने इस योजना को अनुदार व अपमानजनक कहा, विशेषकर शिक्षित वर्ग में बड़ा असंतोष उत्पन्न हुआ।

(8) सरकार का दमन चक्र - एक ओर सरकार जनता को राजनीतिक सुधारों का आश्वासन दे रही थी और दूसरी ओर राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए कड़े से कड़े कदम उठा रही थी। प्रेस एक्ट, सेडीसन एक्ट, एक्सप्लोसिव सब्सटेन्सला आदि दमनकारी कानूनों का निर्माण राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के उद्देश्य से ही किया था। क्रांतिकारियों को फाँसी, कालापानी और कारावास की सजा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। शासकीय दमन की कठोरता तो पंजाब के गर्वनर सर माइकेल ओडायर के शासन में चरम सीमा तक पहुँच गई थी। सरकार की दमनकारी नीति ने जनता में आक्रोश की लहर दौड़ा दी थी।

असहयोग आन्दोलन का महत्त्व व सफलताएँ - असहयोग आन्दोलन पूर्णतया असफल रहा लेकिन आन्दोलन को अन्य दिशाओं में पर्याप्त सफलता मिली तथा उनके महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

(1) ब्रिटिश साम्राज्य पर कुठाराघात - असहयोग आन्दोलन ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी और दुर्बलताएँ स्पष्ट हो गईं। भारतीय जनता की रही-सही राज-भक्ति भी समाप्त हो गई।

(2) स्वराज्य का सन्देश - आन्दोलन ने स्वराज्य का सन्देश घर-घर में पहुँचा दिया। सभी वर्गों के लोगों को मालूम हो गया कि उन्हें स्वराज्य प्राप्त करना है और उसकी प्राप्ति के लिए नौकरशाही से मोर्चा लेना है।

(3) राष्ट्रीयता का संचार - यह प्रथम जन-आन्दोलन था, जिसने विभिन्न सम्प्रदायों और प्रान्तों के लोगों से राष्ट्रीयता की भावना को उद्देश्ति किया। इसी आन्दोलन ने राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय एकता का सूत्रापात किया। यह प्रथम जन-आन्दोलन था जिसमें 35 हजार लोगों को जेल में डाल दिया। यह वह जन-आन्दोलन था जिसकी जड़ें शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक फैल गई तथा विद्यार्थियों व मजदूरों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ।

(4) राष्ट्रीय आन्दोलन को शक्ति प्रदान करना - असहयोग आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को शक्ति प्रदान की और उसे एक क्रांतिकारी आन्दोलन के रूप में परिवर्तित कर दिया तथा उसे एक नई दिशा और गति दी।

(5) कांग्रेस की नीति व स्वरूप में परिवर्तन - असहयोग आन्दोलन से कांग्रेस की नीतियों और स्वरूपों में परिवर्तन आया। कांग्रेस पहले केवल वैधानिक साधनों का प्रयोग कर सकती थी। अब उसने सक्रिय प्रतिरोध की नीति को अपनाना शुरू कर दिया। उसने सक्रिय आन्दोलन तथा सविनय अवज्ञा नीति को अपनाया।

(6) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार - विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार इसका एक प्रमुख कार्यक्रम था। आन्दोलनकारियों ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया तथा राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना की। इसके फलस्वरूप भारतीयों में स्वदेशी वस्तुओं के लिए प्रेम जाग्रत हुआ तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन मिला।

(7) निर्भीकता की भावना का विकास - इस आन्दोलन ने भारतीयों की आँखें खोल दी। सरकारी अधिकारियों तथा उनके आतंकों का जनता के दिल से भय दूर हो गया। वे साम्राज्य के विरुद्ध आन्दोलन करने के लिए सचेत हो गए। पहले जेलों से डरती थी, सरकार की आलोचना करना एक अपराध माना जाता था। महात्मा गाँधी के आन्दोलन का यह प्रभाव पड़ा कि जनता ब्रिटिश सरकार का विरोध करने का साहस जुटा सकी। जेलें भरना अब देश भक्ति मानी जाने लगी।

असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारण - सन् 1922 ई. में जिस आकस्मिक ढंग से आन्दोलन स्थगित कर दिया गया था, उससे इस आन्दोलन की प्रमुख दुर्बलताएँ निम्नलिखित थी

1. आन्दोलन की प्रथम और सम्भवतया सबसे बड़ी दुर्बलता राजनीति में धर्म का प्रवेश था, जिसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं हुए। गाँधी जी ने खिलाफत के प्रश्न को हिन्दू-मुस्लिम एकता का आधार बनाया था, परन्तु यह गलत था।

2. आन्दोलन से भारतीयों में जिन उच्च आशाओं ने जन्म ले लिया था, उनमें से किसी के भी पूरे हुए बिना आन्दोलन के स्थगन का मनोवैज्ञानिक प्रभाव अच्छा नहीं हुआ। गाँधी जी ने एक वर्ष में स्वराज्य प्राप्त करने का वचन दिया था।

3. आन्दोलन को सहसा स्थगित कर देना भी अविवेकपूर्ण निर्णय था यह सम्भव था कि कुछ समय आन्दोलन के और चलते रहने पर ब्रिटिश सरकार कुछ संवैधानिक रियायतें प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाती। इस आन्दोलन की समाप्ति के कारण आन्दोलनकारी न तो ब्रिटिश सरकार से पंजाब की गलतियों को ठीक करवा सके और न ही एक वर्ष में स्वराज्य को प्राप्त कर सके जैसाकि उन्होंने जनता से वायदा किया था। इसलिए जनता में पूर्ण निराशा छा गई थी।

4. गाँधी जी ने असहयोग का संचालन किया। कांग्रेस के कुछ नेता गाँधी जी के इस आन्दोलन के दृष्टिकोण के विरोधी थे। अतः उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग नहीं लिया।

5. साम्प्रदायिक दंगे आरम्भ हो जाने के कारण भी असहयोग आन्दोलन को सफलता नहीं मिली।

6. महात्मा गाँधी ने अपने बहुत से कार्यों को अधूरा ही छोड़ दिया इस आधार पर नेता जी ने कहा था ठीक उस समय, जबकि जनता का उत्साह- चरमोत्कर्ष पर था, वापस लौटने का आदेश दे देना राष्ट्रीय दुर्भाग्य से कम न था।

7. आन्दोलन के कार्यक्रम का विरोधात्मक पक्ष अधिक सफल नहीं हुआ। पुनर्गठित व्यवस्थापिका सभाओं के चुनावों में सरकार के पिटठू व्यवस्थापिकाओं में पहुँच गए और उन्होंने कानून निर्माण में सरकार की सहायता की। अनेक स्थानों पर सरकारी कॉलेज, अदालत तथा कार्यालय सुचारू रूप से चलते रहे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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